माँ शब्द महज शब्द नहीं ,एक भरा-पूरा एहसास है। एहसास है ममत्व का, एहसास है प्रतिकूल परिस्थिति में मिलनेवाले हौंसले का, एहसास है संघर्ष की तपिश से झुलसते मन को मिलनेवाली शीतल छाया का। माँ होती है तो शिशु की किलकारी गूँजती है;बचपन की चपलता होती है। माँ होती है तो घर- बाहर एक सुरक्षा-बाड़ होता है,जहाँ भावनाएँ पलती हैं, विचार गहराते हैं,संकल्प मजबूत होते हैं। विपरीत समय हो या परिस्थिति , माँ सबसे लड़ जाती है, मगर बच्चे को टूटने- बिखरने से बचाती है। माँ की दुनिया में रोशनी का दूसरा नाम संतान है।
वही माँ जब उम्र की ढलान से उतरते हुए साँझ में बदल जाती है तो कभी धीरे-धीरे,कभी अनायास उसकी सतरंगी आभा गोधूलि में बदलने लगती है।धूसर/बेरंग होने लगती है–कभी सोचा है,क्यों? क्यों रात की कालिमा उसकी बची-खुची साँसों पर ग्रहण लगाने लगती है? जिन बच्चों को सूरज,चाँद,आँखों का तारा मानती है, वे सूरज,चाँद -सितारे माँ की ढलती साँसों को अपने उजास से क्यों नहीं भर पाते?क्यों उनके मन पर अँधेरे की परत चढ़ने देते हैं? क्यों उन्हें आश्वस्त नहीं कर पाते कि वे हैं–उनके पास,उनके साथ, कभी कम न होनेवाला प्रेम और वात्सल्य का वही छलछलाता कटोरा लिए।
बूढ़ी माँ की बुझी आँखों में चमक उभर आती है जब संतान सामने होती है; जब भरा-पूरा परिवार उसे वही स्नेह और सम्मान देता है,जिसकी वह हक़दार है। खरीदे तोहफ़े जी नहीं जोड़ते, उन्हें तो अपने बच्चों से आत्मीयता का वही सुरक्षा-बाड़ चाहिए, वही शीतल चाँदनी और वही गुनगुनी धूप…छोटी-छोटी खुशियाँ बुनते नन्हें-नन्हें पल। उँगली पकड़कर जिसने चलना सिखाया,उनका हाथ थामे रहें तो हर दिन मातृदिवस होगा।
स्नेह-सम्मान का एक दीया अपनी माँ के लिए और एक अपने बच्चों की माँ के लिए जलाए रखेंगे और बच्चों को भी प्रेरित करेंगे तो किसी घर का कोई कोना कभी अँधेरा नहीं होगा। न कोई कमरा बुजुर्ग माँ के अकेलेपन के सीलन से भरा होगा और न ही वृद्धाश्रम जाने के लिए डगमगाते क़दम विवश होंगे।
आमीन!💐
मातृदिवस की शुभकामनाएं!💐💐💐
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